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akhiyo.n ko asnaan karaa ke

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अंखियों को अस्नान कराके, मैं दर्शन को आई -२
टूटे मन को, लेकर मन के, भेंट चढ़ाने आई
मैं दर्शन को आई ...

साधु ने संयास लिया और अंग भभूत रमाई -२
धूल बनी राहों की मीर, चरणन बीच समाई
मैं दर्शन को आई ...

ओ पगली के पगले प्रीतम कैसी प्रीत निभाई -२
सखियों का तो जी बहलाया हमरी हँसी उड़ाई
मैं दर्शन को आई ...

सूना मन का नगर सजाया प्रीत की ज्योत जगाई -२
इस नगरी से दूर न जैयो ओ हमरे हरजाई
मैं दर्शन को आई ...

Comments/Credits:

			 % Transliterator: K Vijay Kumar
% Date: November 5, 1998
% Comments: LATAnjali series
		     
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