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dard\-e\-judaa_ii hai Gam kii ghaTaa chhaa_ii hai

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दर्द-ए-जुदाई है ग़म की घटा छाई है
आँख भर आई है दुहाई है
दुहाई है

कल जिन आँखों में बालम थे आज उनमें बरसात है
वो भी एक रात थी यह भी एक रात है
याद किसी की आई है ग़म के आँसू लाई है
आँख भर आई ...

तू क्या जाने दुनिया ने क्या-क्या इल्ज़ाम लगाए हैं
दिल के अरमाँ आँखों में आँसू बन-बन के आए हैं
जिनसे की भलाई है उनसे मिली बुराई है
आँख भर आई ...

सुन के मेरी मजबूरी बालम आँसू नहीं बहाना
दुनिया चाहे कुछ भी कहे मेरा प्यार भूल न जाना
क़िस्मत खींच के लाई है मत समझो बेवफ़ाई है
आँख भर आई ...

Comments/Credits:

			 % Credits: This lyrics were printed in Listeners' Bulletin Vol #121 under Geetanjali #111
		     
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