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dekhate\-dekhate jal gayaa aashiyaa.N

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देखते-देखते जल गया आशियाँ
क्या सुनाऊँ तुझे प्यार की दास्ताँ

तुझसे कैसे कहूँ दर्द का माजरा
मैने सोचा था क्या और क्या हो गया
पास आए मगर हो गईं दूरियाँ
क्या सुनाऊँ तुझे ...

सबके होते हुए भी अकेली हूँ मैं
आप अपने लिए इक पहेली हूँ मैं
हाय मजबूरियाँ हाय लाचारियाँ
क्या सुनाऊँ तुझे ...

फुँक रहा है जिगर जी रही हूँ मगर
हाय मैं लुट गई तू रहा बेख़बर
मुझपे रोते रहे ये ज़मीं आसमाँ
देखते-देखते जल गया ...

रह गई राख सी उठ रहा है धुआँ
क्या सुनाऊँ तुझे ...

Comments/Credits:

			 % Credits: This lyrics were printed in Listeners' Bulletin Vol #83 under Geetanjali #73
		     
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