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duur desh se koii saperaa aayaa

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दूर देश से कोई सपेरा आया
गीत क्या गाया लिया मन छीन रे
मीठी मीठी जादू की बजाये कोई बीन रे
जिया लहराया

साँवरिया तेरे रंग में रंग के हो गई मैं तो साँवरी
पी के पीछे डोलूँगी बन के बैरागन बाँवरी
तड़पूँगी मैं दिन रात
तड़पूँगी दिन रात जो छोड़ा साथ, ज्यों जल बिन मीन रे
मीठी मीठी जादू की बजाये कोई बीन रे ...

कैसा छेड़ा गीत रे तूने मैं अपनापन भूल रही
कभी है धरती कभी गगन है ऐसा झूला झूल रही
तज के जगत की लाज
तज के जगत की लाज, हुई मैं आज, तेरे अधीन रे
मीठी मीठी जादू की बजाये कोई बीन रे ...

Comments/Credits:

			 % Transliterator: K Vijay Kumar
		     
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