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guzaraa zamaanaa haaye guzaraa zamaanaa - - Beena Chowdhury

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गुज़रा ज़माना हाये गुज़रा ज़माना
ना भूल सकी अब तक चाहती हूँ भुलाना

उस नन्न्हीं नन्न्हीं घास पे जा पाँव फैलाना
फूलों को तोड़ तोड़ के वो हार बनाना
मन्दिर की छाँव के तले वो हँसना हँसाना
उस बूढ़े पुजारी का हमसे प्रेम जताना
खोयी हुई नज़रों से मन का गीत सुनाना
ना भूल सकी ...

उनके महल में हँस रही है आज रागिनी
रोती है झोंपड़ी में हाये मेरी ओढ़नी
बिगड़ी तो ऐसे बिगड़ी है अब तक नहीं बनी
ख़ुशियों को चूमते हैं क़िस्मत के वो धनी
अब मौत भी करती है क्यूँ आने में बहाना
ना भूल सकी ...

हैं फूल भी वैसे ही मन्दिर भी वही है
गलियाँ वही पुरानी और घर भी वही है
बुलबुल के गीत भी हैं सरवर भी वही है
सब कुछ वही है पर नहीं काजल का सिर्हाना
ना भूल सकी ...

Comments/Credits:

			 % Date : 06 march 2004
% Comments : Geetanjali Series
%     nonfilm non film beena beenaa biinaa
		     
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