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jhilamil taaro.n kii ... mahabuub kii meha.ndii haa.Ntho.n me.n

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को: झिलमिल तारों की बरातों में
भीगी भीगी बरसातों में
सोई सोई जागी जागी खोई खोई चाँदनी रातों में
रातों में
ल: रातों में हो रातों में -२
फिर नींद कहाँ आती है
फिर नींद कहाँ आती है जो लग जाती है
महबूब की मेहंदी हाँथों में
हो रातों में हो रातों में
को: फिर नींद कहाँ आती है
फिर नींद कहाँ आती है जो लग जाती है
महबूब की मेहंदी हाँथों में
ल: हो रातों में हो रातों में

जिनमें खिलीं हम बनके कलियाँ
को: ये बाबुल की गलियाँ
ल: ये बाबुल की गलियाँ
छोड़ के इनको भूलेगा ये दिल
कैसे ये रंगरलियाँ
ये गलियाँ जो याद आती हैं, बरस जाती हैं
को: आँखें बरसातों में
ल: हो रातों में

तुमको मुबारक दिन ये सुहाना
हमको भूल ना जाना
को: हमको भूल ना जाना
ल: सुन शादी के बाद सहेली
दिल का हाल सुहाना
बतलाना कटीं कैसे रातें, हुईं हाय बातें
को: क्या पहली मुलाकातों में
ल: हो रातों में

सारे रिशते कच्चे झूठे
इक ना इक दिन टूटे
पर इन हाथों से मेहंदी का
रंग कभी ना छूटे
क्या बात है अल्लाह दुहाई, नज़र भर आई
को: क्यूँ तेरी बातों बातों में
ल: हो रातों में
फिर नींद कहाँ आती है
को: जो लग जाती है
ल: महबूब की मेहंदी हाँथों में
( हो रातों में
को: महबूब की मेहंदी हाँथों में ) -३
को: महबूब की मेहंदी हाँथों में

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