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kisii ne apanaa banaa ke mujhako

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किसी ने अपना बना के मुझको मुस्कुराना सिखा दिया
अंधेरे घर में किसी ने हँस के चिराग़ जैसे जला दिया
किसी ने अपना बना के मुझको मुस्कुराना सिखा दिया

शरम के मारे मैं कुछ न बोली -२
नज़र ने परदा गिरा दिया
मगर वो सब कुछ समझ गये हैं
के दिल भी मैंने गँवा दिया

किसी ने अपना बना के मुझको मुस्कुराना सिखा दिया

न प्यार देखा न प्यार जाना -२
सुनी थीं लेकिन कहानियाँ -२
जो ख़्वाब रातों में भी न आया
वो मुझको दिन में दिखा गया

किसी ने अपना बना के मुझको मुस्कुराना सिखा दिया

वो रंग भरते हैं ज़िंदगी में -२
बदल रहा है मेरा जहाँ
कोई सितारे लुटा रहा था
किसी ने दामन बिछा दिया

किसी ने अपना बना के मुझको मुस्कुराना सिखा दिया
अंधेरे घर में किसी ने हँस के चिराग़ जैसे जला दिया

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