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kyaa ye duniyaa hai ... zulm kii nagarii me.n

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क्या ये दुनिया है यहाँ कर के भलाई देख ली
सोच ना सकते थे जो वो भी बुराई देख ली

ज़ुल्म की नगरी में किसी का कौन सहारा है -२
सब तो पराये हैं जहाँ में कौन हमारा है -२

ओ ओ पापी को आराम जगत में पापी को आराम
ओ ओ पुन वाले बदनाम जगत में पुन वाले बदनाम
देख लिया संसार यहाँ का खेल ही न्यारा है -२

ज़ुल्म की नगरी में किसी का कौन सहारा है -२

ओ ओ छीना मेरा लाल जगत ने छीना मेरा लाल
ओ ओ ममता है बेहाल यहाँ पर ममता है बेहाल
मुझसे हुआ है दूर जो मेरी आँख का तारा है -२

ज़ुल्म की नगरी में किसी का कौन सहारा है -२

ओ ओ अन्यायी की जीत यहां पर अन्यायी की जीत
ओ ओ रोती सच्ची प्रीत यहाँ पर रोती सच्ची प्रीत
सुनते हो भगवान यही इन्साफ़ तुम्हारा है -२

ज़ुल्म की नगरी में किसी का कौन सहारा है
सब तो पराये हैं जहाँ में कौन हमारा है
ज़ुल्म की नगरी में किसी का कौन सहारा है

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