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maa.Ngane se jo maut mil jaatii

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मान्गने से जो मौत मिल जाती, कौन जीता इस ज़माने में
दर्द होता ना बेकली ? होती, दम ना घुटता यूँ वीराने में
माँगने से जो मौत मिल जाती, कौन जीता इस ज़माने में

(आँसूओं की शमा से गर ग़म की तारीकियाँ मिटती)-२
तुझ को ख़ुशियों की रौशनी होती ज़िंदगी के इस फ़साने में
माँगने से जो मौत मिल जाती, कौन जीता इस ज़माने में

(आरज़ूओं के जनाज़े को लेके कांधे पे हम घूमे)-२
चल्के मन्ज़िल जो आई मिलने को, हम ही न रहे इस ज़माने में
माँगने से जो मौत मिल जाती, कौन जीता इस ज़माने में

Comments/Credits:

			 % Transliterator:Srinivas Ganti
% Date: 21 Mar, 2003
		     
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