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man meraa u.Dataa jaa_e

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मन मेरा उड़ता जाए
बादल के संग दूर गगन में
आज नशे में गाता गीत मिलन के रे
रिम झिम, रिम झिम, रिम झिम

आस के पंख लगाकर पंछी मस्ताना
पी की नगरिया आज चला दिल दीवाना
घन घन बादल गरजे तो क्या
चम चम बिजली चमके तो क्या
चंचल मन तो रुकना कहीं न जाने रे
मन मेरा उड़ता जाए ...

उठती हैं जैसे सागर में
कल कल छल छल करती तरंगें
मन में वैसे ही जाग रहीं
पल पल व्याकुल मस्त उमंगें

आज न रोको प्यार के इस दीवाने को
हाथों से दिल जाता है तो जाने दो
तोड़ चला ये बंधन सारे
जहाँ सजन का प्यार पुकारे
पागल है मन कब ये किसी की माने रे
मन मेरा उड़ता जाए ...

Comments/Credits:

			 % Transliterator: Arunabha S Roy
% Date: 4 Oct 2004
% Series: LATAnjali
% generated using giitaayan
% Credits: Satish Kalra
		     
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