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mat samajho niir bahaatii huu.N

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मत समझो नीर बहाती हूँ
मत रोने से से क्या काम सखी
इन अँसुवन में है श्याम सखी
मैं उन में बसाकर मन की छवि
मैं मन ही मन मुस्काती हूँ
मत समझो नीर बहाती हूँ

ये आँसू दिल के सहारे हैं
ये आँसू जान से प्यारे हैं -२
मैं इन तक़दीर के तारों से
सोये हुये भाग जगाती हूँ
मत समझो नीर बहाती हूँ

हर आंसू में उनकी मूरत है
ओझल फिर भी वो सूरत है
पलकों पे सजाकर अंसुवन को
मैं पी की दर्शन पाती हूँ
मत समझो नीर बहाती हूँ

मैं जलती जलती बूँदों से
नैनों की प्यास बुझाती हूँ
मत समझो नीर बहाती हूँ

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			 % Date: 17 Jul 2004
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