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sa.ndese aate hai.n ... ki ghar kab aa_oge

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संदेसे आते हैं हमें तड़पाते हैं
जो चिट्ठी आती है वो पूछे जाती है
कि घर कब आओगे लिखो कब आओगे
कि तुम बिन ये घर सूना सूना है

किसी दिलवाली ने किसी मतवाली ने
हमें खत लिखा है ये हमसे पूछा है
किसी की साँसों ने किसी की धड़कन ने
किसी की चूड़ी ने किसी के कंगन ने
किसी के कजरे ने किसी के गजरे ने
महकती सुबहों ने मचलती शामों ने
अकेली रातों में अधूरी बातों ने
तरसती बाहों ने
और पूछा है तरसी निगाहों ने
कि घर कब आओगे लिखो कब आओगे
कि तुम बिन ये दिल सूना सूना है
संदेसे आते हैं ...

मुहब्बत वालों ने हमारे यारों ने
हमें ये लिखा है कि हमसे पूछा है
हमारे गांवों ने आम की छांवों ने
पुराने पीपल ने बरसते बादल ने
खेत खलियानों ने हरे मैदानों ने
बसन्ती मेलों ने झूमती बेलों ने
लचकते झूलों ने दहकते फूलों ने
चटकती कलियों ने
और पूछा है गांव की गलियों ने
कि घर कब आओगे लिखो कब आओगे
कि तुम बिन गांव सूना सूना है
संदेसे आते हैं ...

कभी एक ममता की प्यार की गंगा की
जो चिट्ठी आती है साथ वो लाती है
मेरे दिन बचपन के खेल वो आंगन के
वो साया आंचल का वो टीका काजल का वो
लोरी रातों में वो नरमी हाथों में
वो चाहत आँखों में वे चिंता बातों में
बिगड़ना ऊपर से मुहब्बत अंदर से
करे वो देवी माँ
यही हर खेत में पूछे मेरी माँ
कि घर कब आओगे
कि तुम बिन आंगन सूना सूना है

ऐ गुजरने वाली हवा बता
मेरा इतना काम करेगी क्या
मेरे गांव जा मेरे दोस्तों को सलाम दे
मेरे गांव में है जो वो गली
जहां रहती है मेरी दिलरुबा
उसे मेरे प्यार का जाम दे
वहां थोड़ी दूर है घर मेरा
मेरे घर में है मेरी बूढ़ी माँ
मेरी माँ के पैरों को छू उसे उसके बेटे का नाम दे

ऐ गुजरने वाली हवा ज़रा
मेरे दोस्तों मेरी दिलरुबा मेरी माँ को मेरा पयाम दे
उन्हें जा के तू ये पयाम दे
मैं वापस आऊंगा फिर अपने गांव में
उसी की छांव में कि माँ के आँचल से
गांव की पीपल से किसी के काजल से
किया जो वादा है वो निभाऊंगा
मैं एक दिन आऊंगा

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