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Thahar zaraa o jaanevaale

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म: (ठहर ज़रा ओ जानेवाले) - २
बबु मिस्टर गोरे काले
कब से बैठे आस लगाए
हम मतवाले पालिशवाले
को: ठहर ज़रा ओ जानेवाले
बबु मिस्टर गोरे काले
कब से बैठे आस लगाए
हम मतवाले पालिशवाले ...

आ: ये काली पालिश एक आना
म: ये ब्राऊन पालिश एक आना
आ: जूते का मालिश एक आना
आ/म: हर माल मिलेगा एक आना
न ब्लैस्म न पाखौड़ी है
न पगड़ी है न चोरी
छोटी सी दुकान लगाए
हम मतवाले पालिशवाले ...

म: मेहनत का फल मिठा मिठा
को: हाँ भै हाँ रे
म: भाग किसीका रूठा झूठा
को: ना भै ना रे
म: मेहनत की एक रूखी रोटी
को: हाँ भै हाँ रे
म: और मुफ़त की दुध मलाई
को: ना भै ना रे
लालच जो फोकट की खाए
लालच जो हराम की खाए
हम मतवाले पालिशवाले ...

म: पंडित जी मंतर पड़ते हैं
वो गंगा जी नहलाते हैं
को: हम पेट का मंतर पड़ते है
जूते का मुह चमकाते है
म: पंडित को पाँच चवन्नी है
को: हम को तो एक इकन्नी है
म: फिर भेद भाव ये कैसा है
को: जब सब का प्यारा पैसा है
ऊँच नीच कुछ समझ न पाए
हम मतवाले पालिशवाले ...

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